नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ अर्थ: हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई। स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा https://shiv-chalisa-lyrics-pdf01913.webbuzzfeed.com/30283732/not-known-factual-statements-about-shiv-chalisa-lyrics-english